जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है !
न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है !!
झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं !
सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है !!
फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में !
अमीरी रोती है और ग़रीबी मुस्कुराती है !!
माँ ! मुझे चाँद नही एक रोटी चाहिऐ !
बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है !!
फुटपाथ सो गई थककर मेहनत कर के !
इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है !!
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