आज बहस के केंद्र में भ्रष्टाचार है। एक तरफ टीम अन्ना है तो दूसरी ओर सरकार। तीसरी तरफ हैं आप। बहुत कुछ देखा आपने। बहुत सोचा। अब आपकी बारी है। सब कुछ बोलिए। खुल कर बोलिए। यहाँ अन्ना और सरकार, दोनों सुन रहे हैं आपकी बात। अब एक ही मंच पर होंगे पक्ष-विपक्ष और आप। यानी 'इंडिया की सोच'। देश की 65वें स्वतंत्रता दिवस पर यह एक शुरुआत है। यह शुरुआत आजादी की सालगिरह के मौके पर करने के पीछे भी एक खास मकसद है। मकसद यह कि भ्रष्टाचार की बात करते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने और आजादी पाने की राह भी निकालने का संकल्प लिया जाए।
कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।