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Showing posts from September, 2012

विस्मय का क्या समाधान ?

किसका सिंगार ? किसकी सेवा ? नर का ही जब कल्याण नहीं ? किसके विकास की कथा ? जनों के ही रक्षित जब प्राण नहीं ? इस विस्मय का क्या समाधान ? रह-रह कर यह क्या होता है ? जो है अग्रणी वही सबसे आगे बढ़ धीरज खोता है।

ग़रीबी (Poverty)

जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है ! न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है !! झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं ! सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है !! फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में ! अमीरी रोती है और ग़रीबी मुस्कुराती है !! माँ  ! मुझे चाँद नही एक रोटी चाहिऐ ! बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है !! फुटपाथ सो गई थककर मेहनत  कर  के   ! इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है !!