दिल्ली: जज़्बे, जुनून और मेहमाननवाज़ी की मिसाल दिल्ली सिर्फ़ दिलवालों की ही नहीं, बल्कि बुलंद हौसलों और असंभव को संभव बना देने का जुनून रखने वालों की भी है। कॉमनवेल्थ खेलों के भव्य आगाज़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि दिल्ली सिर उठाकर खड़ी है और पूरे जोशो-खरोश के साथ अपने हर मेहमान का स्वागत कर रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स का शानदार आयोजन यह दर्शाता है कि भारत अगर चाहे, तो विश्वस्तर का कोई भी आयोजन बख़ूबी कर सकता है। 7 हज़ार से अधिक खिलाड़ियों और अधिकारियों की मौजूदगी वाले इस आयोजन को दिल्ली ने जिस भव्यता से किया है, वह लंबे समय तक याद रखा जाएगा। कई लोग इसे भारत की आर्थिक ताक़त का प्रतीक भी मान रहे हैं। बीते महीनों में दिल्लीवासियों और मीडिया ने आयोजन की तमाम खामियों को उजागर किया था। लेकिन आज, जिस स्तर पर खेलों का संचालन हो रहा है, वह इस बात की मिसाल है कि जब कोई बड़ा आयोजन होता है, तो हर कोई मिलकर उसे सफल बनाता है। चाहे बात हो मेट्रो की, स्टेडियमों की, खेलगांव की या बुनियादी सुविधाओं की—दिल्ली पूरी तरह बदली-बदली नज़र आ रही है। और हर कोई कह उठा है: "ये दिल्ली है मेरी ज...
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