Feb 27, 2012

पुष्प की अभिलाषा


Desire of a Flower

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूथा जाऊँ !
चाह नहीं प्रेमी माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ !!
चाह नहीं सम्राटों के
शव पर हे हरि डाला जाऊँ !
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इतराऊँ !!
मुझे तोड़ लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक !
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक !!

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