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विस्मय का क्या समाधान ?

किसका सिंगार ? किसकी सेवा ? नर का ही जब कल्याण नहीं ? किसके विकास की कथा ? जनों के ही रक्षित जब प्राण नहीं ? इस विस्मय का क्या समाधान ? रह-रह कर यह क्या होता है ? जो है अग्रणी वही सबसे आगे बढ़ धीरज खोता है।

ग़रीबी (Poverty)

जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है ! न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है !! झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं ! सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है !! फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में ! अमीरी रोती है और ग़रीबी मुस्कुराती है !! माँ  ! मुझे चाँद नही एक रोटी चाहिऐ ! बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है !! फुटपाथ सो गई थककर मेहनत  कर  के   ! इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है !!

God Remove bad thought from mind.

• How to curb the bad thoughts coming in the mind ? The bad thought should be nipped in the bud by supplanting counter divine thoughts. It should not be allowed to penetrate the physical body. If your will is strong, the evil thought can be driven at once. Pranayama, vigorous prayer, Vichara, Atmic contemplation, Saguna meditation and Satsanga can nip the evil thoughts in the bud at the threshold of the mental factory. The combat will be keen in the beginning. When you become purer and purer, when your will-power develops, when you develop more Sattva or purity and when you have a habitual meditative mood, you will be established in physical and mental Brahmacharya. Understand the power of thought and utilise it profitably. Understand the ways of the mind. Learn how to use the pure will. Become a vigilant, dexterous watchman of your thoughts. Curb them before they raise their heads out of the mind through skill and wisdom.

"खोखली जिंदगी"

बिन चुभे एक चुभन बिन जागे एक नींद होठ गीले जुबां प्यासी चेतना की खोखली ज़मीन दिन के आठ पहर 24 घंटे दौड़ क्यों नहीं रुकती ? आत्मा थक जाती लालच कहां झुकती ऐसा क्या जो इतराऊं कौन सा सपन संजोऊं किस फर्ज की कसम खाऊं नदी दिखी वो समंदर आसमां समझा वो बवंडर जिंदगी जागीर लगती है गिरे तो फरेब उठे तो तकदीर लगती है !!

तुम राम-कृष्ण वंशज हो !!

क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते हो! राणा प्रताप के वंशज हो,क्यों कुल को कलंकित करते हो!! आराध्य तुम्हारे राम-कृष्ण,जो कर्म की राह दिखाते थे! जो दुश्मन हो आततायी, वो चक्र सुदर्शन उठाते थे! श्री राम ने रावण को मारा, तुम गद्दारों से डरते हो!! जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे,तो राम राम क्यों जपते हो! क्या जंग लगी तलवारों में,जो इतने दुर्दिन सहते हो!! अंग्रेजों ने दौलत लूटी,मुगलों ने थी इज्जत लूटी ! दौलत लूटी, इज्जत लूटी, क्या खुद्दारी भी लूट लिया, गिद्धों ने माँ को नोंच लिया,तुम शांति शांति को जपते हो! इस भगत सुभाष की धरती पर,क्यों नामर्दों से रहते हो? क्या जंग लगी तलवारों में जो इतने दुर्दिन सहते हो!! हिन्दू हो,कुछ प्रतिकार करो,तुम भारत माँ के क्रंदन का! यह समय नहीं है, शांति पाठ और गाँधी के अभिनन्दन का!! यह समय है शस्त्र उठाने का,गद्दारों को समझाने का, शत्रु पक्ष की धरती पर,फिर शिव तांडव दिखलाने का!! इन जेहादी जयचंदों की घर में ही कब्र बनाने का, यह समय है हर एक हिन्दू के,राणा प्रताप बन जाने का! इस हिन्दुस्थान की धरती पर ,फिर भगवा ध्वज फहराने का!!

सनातन क्या है...

सनातन क्या है... सनातन - कभी झुक नहीं सकता.. सनातन - कभी रुक नहीं सकता.. सनातन - कभी डिग नहीं सकता.. सनातन - कभी मिट नही सकता.. जो सनातन है वही धर्म है.. जो धर्म है वही सनातन है.. जय जय सनातन धर्म.. जय जय सनातन भारत.. वन्दे मातरम..

पुष्प की अभिलाषा

Desire of a Flower चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊँ ! चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ !! चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ ! चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इतराऊँ !! मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक ! मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएँ वीर अनेक !!   पं. माखनलाल चतुर्वेदी