Skip to main content

Posts

‌खामियां बेहिसाब

कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! मैं आसमाँ से उतरा परिंदा नहीं, खामियां मेरे अंदर बहुत है, गिनतियाँ करियेगा तो कम पड़ जाएगी उंगलिया, कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! सुना था इंसान मिट्टी का पुतला है, पता न कब बिखर जाउ, इसलिए सायद हो जाती होगी गुस्ताखियां, कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! तिनका भी नही हिल सकता बिन मर्जी तेरी, संभालो उशे जिसकी आदत बन गई गलतिया, मेरे रब ये सब बेबसी का सबब तो नही, अच्छे बुरे लफ्ज बनके निकलती मेरी गलतिया, कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! एक नाव ऐसा जिसका कोई साहिल नही, सूखे रेत में डगमगाना कही लाजमी तो नही, एक राह ऐसा जिसका कोई किनारा नही, एक जान ऐसी जिसका कोई सहारा नही, कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! उसकी फितरत बुरी नही ना करतूत बुरी, कभी कभी लड़खड़ाना हो जाती है मजबूरिया, नादान परिंदा है वो , नादान परिंदा है वो, कमसे कम आप तो समझो मेरी कमजोरिया, कही हद से जादा तो नही मेरी गलतिया !! 21 Dec, 2018 , 6,40 am DHIK H

आधुनिक इंसान

खुशियाँ कम और          अरमान बहुत हैं । जिसे भी देखो,          परेशान बहुत है ।। करीब से देखा तो,       निकला रेत का घर । मगर दूर से इसकी,                शान बहुत है ।। कहते हैं सच क...

Never be alone in bad times

There are times when we are faced with illnesses, disorders, disabilities, Unemployment and some type of tragedy that caus es us to lose contact with ourselves and the society in which we live. Our happiness begins to fade and our heart begins to grow heavy... It's my personal experience. This affects the way we think, live, feel and the way we look at life. None of us can be happy all the time. During times of tragedy, it is natural and even beneficial, So don't hold unhappy, anger or any negative emotion that takes your control.

महापर्व छठ पूजा

उदयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया आस्था का महापर्व छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही तीन दिवसीय छठ पर्व शुक्रवार की सुबह संपन्न हो गया. इससे पहले छठ पूजा के दूसरे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. !!भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए शुक्रवार की शाम से ही घाटों पर श्रद्धालु जमे रहे. आस्था के महापर्व छठ से ज्यादा जीवंत और प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं हो सकता.        यह महापर्व है और इस पर्व के दौरान आत्मानुशासन देखने को मिलता है. हर व्यक्ति स्वच्छता पर नजर रखता है.जिस तरह का आत्मानुशासन छठ पर्व के अवसर पर देखने को मिलता है, मेरी समझ से यह प्रकृति और सूर्य की पूजा है  इससे ज्यादा जीवंत और प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं है. जय छठी मईया 🙏🏽🙏🏽🙏🏽

Important Links

Here you can go...... :) 1. Zamzar.com एक फाइल को दूसरी फाइल में कन्वर्ट करना है तो इसे ट्राई करें। साइनअप करने की भी जरूरत नहीं है। 1200 तरह की फाइल्स को कन्वर्ट किया जा सकता है। अगर आपके पास ऐसा फॉरमैट है जो साइट पर कन्वर्ट नहीं हो रहा, आप उसे इन्हें ईमेल कर दीजिए और वे इसे कन्वर्ट करने की कोशिश करेंगे। 50 MB से बड़े साइज की फाइल फ्री वर्जन में आप अपलोड नहीं कर सकते, यह बात ध्यान रखनी होगी। फाइल बड़ी है तो पेड सर्विस लेनी होगी। 2. Mailinator.com इन दिनों लगभग सभी वेबसाइट्स आपको साइन-अप करने के लिए ईमेल अड्रेस इस्तेमाल करने को कहती हैं। वे साइट्स आपकी ईमेल आईडी को अन्य सर्विसेज के साथ शेयर करेंगी या नहीं, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। अगर उन्होंने शेयर कर दी तो आपके मेलबॉक्स में स्पैम्स की बाढ़ आ जाएगी। इसलिए Mailnator सर्विस का इस्तेमाल करके आप ऐसा ईमेल अड्रेस बना सकते हैं, जो कुछ ही घंटों बाद नष्ट हो जाता है। आप टेंपररी ईमेल के जरिए साइनअप करके अपना अकाउंट ऐक्टिवेट कर सकते हैं। स्पैम की चिंता किए बगैर आप ऐसा कई बार कर सकते हैं। आप कितने ईमेल अड...

Love at first sight

तुझे देखा जब मे पहली बार....  होठो  पे कोई  लब्ज नही बस मेरे आँखो के प्याले छलकने लगे.....  आख़िर ये क्या था, मैं जो समझ ना सका....  सायद तुम समझ चुकी हो तो बता दो ना.... तुझे देखा जब मैं  पहली बार.... साँसे रुक सी गई.दिल थम सा गया.. ये जिंदगी की कशमकस मे, मैं तो बहुत कुछ भूल चुका हू....  मगर तुम्हे तो याद होगा आख़िर हमारा पुराना रिस्ता क्या है,  सायद तुम समझ चुकी हो तो बता दो ना.... जय श्री हरी. .    15 Sept, 2016, 12.18 AM

विस्मय का क्या समाधान ?

किसका सिंगार ? किसकी सेवा ? नर का ही जब कल्याण नहीं ? किसके विकास की कथा ? जनों के ही रक्षित जब प्राण नहीं ? इस विस्मय का क्या समाधान ? रह-रह कर यह क्या होता है ? जो है अग्रणी वही सबसे आगे बढ़ धीरज खोता है।